चैन्नई 28 अगस्त,
चेन्नई से प्रकाषित ‘‘मारवाड़ चेतना‘‘ नामक समाचार पत्र ने वैष्णव समाज के सम्प्रदाचार्यो, धर्माचार्र्याे एवं अन्य जगद्गुरूचार्यो, जिन्होंने देष व धर्म की न केवल रक्षा की बल्कि मानव कल्याण के उद्देष्यों को ध्यान में रखते हुए सम्पूर्ण मानवता के पथ प्रर्दषक बन हमें जीना सिखाया है, आज हम उन महान आचार्यो को भूलते जा रहे है न तो हमें सही अर्थो में उनके जीवन के बारे में जानकारी है न उनकी षिक्षाओं की जानकारी है और न ही उनकी परम्पराओं का ही ज्ञान है और यही वजह है कि आज सम्पूर्ण मानव जाति स्वार्थ, ईष्या, द्वेष एवं लोभी हो गई है ऐसे समय में इन वैष्णवाचार्यो के जीवन चरित्र एवं षिक्षाओं का संकलन लिपिबद्ध किया जाकर जन-जन तक पहुंचाने का एक सफल प्रयास किया गया है और जगद्गुरू वैष्ण्वाचार्य विषेषांक नामक इस पुस्तक का प्रकाषन कर कृष्ण जमाष्ठमी दिनांक 28 अगस्त 2013 को इस पुस्तक के संयोजक श्री हस्तीमल रामावत एवं महेन्द्र दास निम्बार्क द्वारा लोकार्पण किये जाने पर मारवाड़ चेतना समाचार पत्र के पाठकों सहित वैष्णव समाज चैन्नई के गणमान्य समाज बन्धुओं द्वारा इनका सम्मान किया गया ।
जगद्गुरू वैष्णवाचार्य विषेषांक नामक इस पुस्तक में ऐसे जगद्गुरूओं की जीवनी, उनके कार्यो, वैष्णवों की गौत्रों, संघों, मण्डलों, वैष्णवों भवनों, धर्मषालाओं, छात्रवासों सहित कई धार्मिक षिक्षापद रोचक जानकारियां हैं । 92 पृष्ठीय इस पुस्तक में भारत के 14 राज्यों के 36 कौम अन्य जाति समाजों में भी इस पुस्तक के जरिये हमारे जीवन मुल्यों में सुधार के प्रयास किये गये है । यह प्रथम प्रयास निष्चित रूप से लाभकारी सिद्ध होगा । वैष्णव वेबसाईट परिवार की ओर से ऐसे प्रयास के लिए प्रकाषकगण को हार्दिक बधाई ।
N.D.Nimbawat,
Gaurav Nimbawat
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