विभिन्न प्रतिभाओं के धनी वरिष्ठ समाज सेवी
श्री एन.डी.निम्बावत (नारायणदास निम्बावत) मूल रूप से जोधपुर से बाड़मेर रोड़ पर 25 किलोमीटर दूर न्याय के लिए प्रसिद्ध गांव झंवर तहसील लूणी जिला जोधपुर के निवासी है लेकिन अपने दादा स्व. श्री प्रभूदास जी एवं पिता स्व. श्री श्रीराम जी निम्बावत के जोधपुर में आकर बस जाने से लेकर आज तक जोधपुर में ही निवास कर रहें है ।
जुलाई 1954 में जोधपुर में जन्में श्री निम्बावत अपनी माता स्व. श्रीमती जड़ाव देवी से सहनशीलता, पिता श्री से कड़ी मेहनत, ईमानदारी एवं सच्चाई का पाठ पढ़ कर, बहिन श्रीमती भंवरी देवी, भाई श्री नन्दकिशोर एवं श्री रामाकिशन के प्यार एवं स्नेह से अपनी प्रारम्भिक शिक्षा के विभिन्न मोड़ों से गुजरते हुए एम.ए. (अर्थशास्त्र), एल.एल.बी, डी.सी.एल.एल. की डिग्रियां प्राप्त कर वकालात के व्यवसाय को अपने जीवन यापन का एक मात्र आधार बनाया ।
आर्थिक विषमताओं के चलते जीवन को सहज एवं सरल तरीके से जीने का अन्दाज लिये विभिन्न क्षैत्रों में अपने अध्ययन के दौरान जीवन यापन के साधन जुटाने के प्रयास में आपने बालोतरा में विभिन्न टेक्सटाईल्स कम्पनियों में नौकरियां की, जोधपुर में केन्द्रिय सरकार के संस्थान सेन्ट्रल ऐरिड जाॅन रिसर्च इंस्टिटयूट में रिसर्च असिस्टैंट के रूप में तत्पश्चात् अपने स्वयं के फैन्सी स्टोर के व्यापार एवं जोधपुर में विभिन्न निजी काॅलेजों में अर्थशास्त्र, बैकिंग, बिजनेस ओर्गेनाईजेशन, सांख्यिकी, आयकर, कम्पनी लाॅ जैसे विषयों को पढ़ाने का कार्य भी सफलता पूर्वक किया ।
अपने शैक्षणिक एवं जीवन यापन के कार्यकाल के दौरान 18 वर्ष की उम्र से ही समाज सेवा का एक जज्बा लिये समाज सेवा की ओर अग्रसर हुए और 1977 में जोधपुर में वैष्णव नवयुवक मण्डल का गठन किया जिसमें उपाध्यक्ष, 1980 में जोधपुर वैष्णव ब्राह्मण समाज द्वारा आयोजित प्रथम संगाई सम्मेलन के दौरान उत्साहित नवयुवकों द्वारा नवयुवक मण्डल का पुनः गठन किया एवं वैष्णव नवयुवक संघ बनाया गया जिसमें आपको सचिव बनाया गया, 1985 में श्री वैष्णव ब्राह्मण समाज, जोधपुर जो कि जोधपुर की प्रमुख संस्था है के चुनावों में र्निविरोध सचिव चुने गये, 1988 में पुनः संस्था के चुनाव हुए इसमें पुनः आप र्निविरोध सचिव चुने गये तत्पश्चात् अगले चुनावों में आपने स्वयं ने अपनी व्यस्तता एवं अन्य समाज बन्धुओं को अवसर दिये जाने की सोच रखते हुए चुनाव में भाग ही नहीं लिया लेकिन वैष्णव ब्राह्मण समाज, जोधपुर के लोगों के चहेते बने रहे, 1988 में आपने वैष्णव ब्राह्मण समाज, जोधपुर के छात्रावास के व्यवस्थापक के रूप में कार्यभार संभालने के साथ ही छात्रावास की व्यवस्थाओं में आवश्यक सुधार किये जिसमें छात्रावास में नये कमरों का निर्माण करवाया, अण्डर ग्राऊण्ड पानी का टेंक, लेट्रीन, बाथरूम बनवाये एवं अन्य रिपेयरिंग कार्य करवाया जिससे छात्रों की संख्या बढ़ी । कुछ वर्षो पश्चात् स्वयं ही अन्य को अवसर देने के उदद्ेश्य से एवं अपनी व्यवसायिक व्यस्तता के कारण व्यवस्थापक के पद से इस्तीफा दे दिया लेकिन कार्य की पूछ ने आपको समाज सेवा से दूर नहीं होने दिया एवं श्री चतुः सम्प्रदाय वैष्णव (साधु) समाज रजि. संस्था के चुनावों में आपको र्निविरोध सचिव चुना, वैष्णव कला संगम संस्था का गठन भी श्री श्यामलाल रामावत के साथ मिल कर किया, अपने संस्थागत कार्यकाल के दौरान आपने अपनी संस्थाओं के माध्यम से प्रतिवर्ष विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किये जिसमें प्रतिवर्ष स्नेह मिलन का आयोजन, जगदगुरू रामानन्दा चार्य जयन्ति समारोह, गीता भवन में भजन संध्या, टाऊन हाॅल में कवि सम्मेलन एवं मुशायरा का आयोजन किया ।
केवल स्थानीय संस्थाओं के माध्यम से ही समाज सेवा में अग्रणीय नहीं रहे बल्कि अपनी कार्यशैली, मधुभाषी, स्पष्ट वक्तव्य के आधार पर आप अखिल भारतीय वैष्णव ब्राह्मण सेवा संघ, मुम्बई के वर्षो तक सक्रिय कार्यकर्ता रहे तथा उनकी विभिन्न मिटिंगों एवं सम्मेलनों में महत्पूर्ण भूमिका निभाई 1986 में उदयपुर में आयोजित राष्ट्रीय अधिवेशन के एक सत्र का संचालन आपको सौंपा गया और आपने उस सत्र का संचालन बड़े ही प्रभाव पूर्ण ढ़ग से किया जिससे प्रभावित होकर सेवा संघ की राजस्थान शाखा का आपको सचिव बनाया गया जिसका संचालन भी आपने सफलता पूर्वक किया आपने अपनी सामाजिक सेवाओं के दौरान विभिन्न राज्यों में आयोजित मिटिंगों एवं सम्मेलनों में भाग लिया । अजमेर के वैष्णव छात्रावास का उद्घाटन आपके कार्यकाल में ही किया गया । कुछ वैचारिक मतभेदों के कारण आप तथा आपके साथ वैष्णव ब्राह्मण समाज , जोधपुर सेवा संघ से अलग हो गये इतना ही नहीं अखिल भारतीय स्तर पर बनी आपकी पहचान का खुलासा उस समय हुआ जब सम्पूर्ण भारत वर्ष के लोगों ने आपमें विश्वास व्यक्त करते हुए 1991 में एक अखिल भारतीय स्तर का संगठन बनाने के लिए तद्र्थ रूप से जोधपुर में आयोजित मिटिंग में भारत के विभिन्न राज्यों से अनेक वैष्णव उपस्थित हुए एवं एक स्वर में अखिल भारतीय वैष्णव महासंघ की स्थापना की जिसका मुख्यालय जोध्पुर रखा गया जिसके अध्यक्ष सेठ श्री सन्तराम भाई, अहमदाबाद को चुना गया तथा आपको महासचिव चुना गया, इस महासंघ का प्रथम अधिवेशन अहमदाबाद में, द्वितीय अधिवेशन इन्दौर में आयोजित किया गया जो सफलता पूर्वक सम्पन्न हुए। जोधपुर में आयोजित वैष्णव समाज के दो सामुहिक मई 2005 एवं 2006 में आप सचिव पद पर रह कर दोनो ही सामुहिक विवाह सफलता पूर्वक सम्पन्न करवाये तथा तीसरे सामुहिक विवाह पर अपनी स्वेच्छा से सचिव पद से हटकर लेकिन मुख्य भूमिका निभाते हुए सम्पन्न करवाने में सहयोग किया । अखिल भारतीय वैष्णव (चतुः सम्प्रदाय) विकास परिषद् एवं ट्रष्ट, मुम्बई के गठन की प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभाई आपकी कार्यशौली एवं समर्पण के कारण विकास परिषद में आपको उपाध्यक्ष बनाया गया, आप अखिल भारतीय वैष्णव ब्राह्मण (चतुः सम्प्रदाय) भवन एवं शैक्षणिक ट्रस्ट पुष्कर के आप ट्रष्टी है ।
उपरोक्त विभिन्न सामाजिक संस्थाओं एवं संगठनों में महत्ती भूमिका निभाते हुए आपने जोधपुर से प्रकाशित होने वाली मासिक पत्रिका वैष्णव सन्देश को लगभग 35 वर्ष तक प्रबन्ध सम्पादक के रूप में सेवाएंे दी आपके प्रयासों से ही वैष्णव नाट्य संस्थान् जोधपुर, श्री वैष्णव ब्राह्मण समाज बर्तन व्यवस्था समिति, जोधपुर, श्री वैष्णव ब्राह्मण समाज झींतड़ा मण्डल, जोधपुर श्रीराम व्यायाम शाला एवं वैष्णव समाज संस्थान, जोधपुर का राजस्थान संस्था रजिस्ट्रीकरण अधिनियम के तहत पंजीयन किया जा सका ।
श्री निम्बावत का भारतीय वैष्णव ब्राह्मण संघ रजिस्टर्ड, दिल्ली से बहुत पुराना नाता रहा है इस संघ के गठन सन् 1973 से सेवा संघ, मुम्बई के गठन 1976 तक जो जुड़ाव रहा वह आज तक कायम है और भारतीय वैष्णव ब्राह्मण संघ के 1995, 1996, 2003 के वार्षिक अधिवेशनों में फरीदाबाद, दिल्ली, गुड़गंाव में मुख्य एवं विशिष्ठ अतिथि के रूप में भाग लिया और 2007 में हरिद्वार में आयोजित महाअधिवेशन की अध्यक्षता आप ही ने की थी ।
समाज सेवा के लगभग 40 वर्षो के लम्बे सफर में आपने समाज सेवा के साथ .साथ एक अच्छे लेखकए कविए गीतकारए शायरए गायकए चिन्तक एवं समीक्षक के रूप में एक अच्छी पहचान बनाईए विभिन्न खेलों में रूची रखने वाले श्री निम्बावत अपनी आजीविका वकालात के व्यवसाय के माध्मय से अर्जन कर रहे है और वकालात के व्यवसाय में एक अच्छा प्रतिष्ठित स्थान बना रखा है वर्तमान में आप जोधपुर नगर निगमए जोधपुरए स्टेट बैंक आॅफ बीकानेर एण्ड जयपुरए आईसीआईसीआई बैंकए कर्नाटका बैंक लिमिटेडए डिस्काॅम ;जोधपुर विधुत वितरण निगम लिमिटेडद्ध सहित श्रमिक युनियन इंटक व अन्य निजी कम्पनियों के पैनल अधिवक्ता एवं विधि सलाहकार है ।
श्रीमती इन्द्रा निम्बावत जीवन संगनी के साथ 1981 में परिणय सूत्र में बन्धने के पश्चात् आपके एक पुत्री गरीमा एवं तीन पुत्र क्रमशः गौरव, जितेन्द्र एवं महिम हुए। पुत्री गरीमा राजनैतिक विज्ञान में एम.ए. है तथा दामाद श्री जितेश वैष्णव पुत्र श्री कन्हैयालाल जी वैष्णव विप्रो कम्पनी में सेल्स एण्ड परचेज मैंनेजर के पद पर गुड़गांव हरियाणा में कार्यरत है, पुत्र गौरव निम्बावत, एडवोकेट अपने पिता के साथ वकालात के व्यवसाय में सहयोग कर रहा है पुत्र वधु पूजा निम्बावत कुशल गृहणी है, पुत्र जितेन्द्र भी अधिवक्ता है जो सेल टेक्स एवं इन्कम टेक्स की पै्रक्टिस कर रहा है तथा पुत्र महिम एम.सी.ए. है । हाल ही में वैष्णव समाज संस्थान, जोधपुर की आम सभा, स्नेहमिलन एवं सम्मान समारोह दिनांक 24 अप्रेल 2011 के आयोजन के दौरान पुत्र महिम ने वैष्णव समाज की इस वेबसाईट को तैयार किया जिसे आयोजन में प्रोजेक्टर के जरिये मुख्य अतिथि श्री जयन्ती भाई बी. वैष्णव एवं श्री रामचन्द्र जी वैष्णव ने लाॅच किया । सम्पूर्ण भारत वर्ष में अपनी लोकप्रिय पहचान रखने वाले श्री निम्बावत का सम्पूर्ण परिवार समाज सेवा में तन-मन-धन से लगा हुआ है जो वैष्णव समाज के लिए न केवल आदर्श परिवार है बल्कि प्रेरणा स्त्रोत भी है ।
N.D.Nimbawat,
Gaurav Nimbawat
"SHREERAM"
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Suthala, Jodhpur (Raj.)
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